ट्रेडिंग क्या होती है । शेयर ट्रैडिंग क्या है
शेयर खरीदने और बेचने के कार्य को शेयर बाजार मे ट्रेडिंग कहते है और वे लोग जो यह काम करते है शेयर खरीदते और बेचते है उन्हे ट्रेडर कहते है | शेयर बाजार का यह एक प्रोफेसन है, कई सारे लोग पूरी दुनिया मे इसे एक बिजनेस के रूप मे इसे करते है |
दुनिया का कोई भी व्यक्ति इसे कर सकता है ट्रेडिंग करने के लिए बाजार की जानकारी होना बहुत जरूरी है और यह जानकारी किसी स्कूल और कॉलेज मे नहीं बल्कि यह मिलेगी तो शेयर बाजार की बुक मे , प्राइवेट कोचिंग सेंटर मे जो शेयर बाजार मे निवेश करना सीखाते है, कई बिजनेस न्यूज पेपर और टेलिविज़न चैनलो पर भी |
शेयर बाजार मे ट्रेडिंग कैसे होती है ?
ट्रेडिंग करने के लिए शेयर बाजार के ब्रोकर के पास डिमेट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना पड़ता है , ब्रोकर अपना एक सिस्टम देता है मोबाईल या वेब एपलीकेसन उसके माध्यम से ट्रेडिंग कर सकते है |
मान लीजिए आपने अपनी जानकारी के आधार पर कोई शेयर चुना अब उसे खरीदने के लिए ब्रोकर द्वारा दिए गए एपलीकेसन मे लॉग इन करना होगा (लॉग इन करने के लिए ब्रोकर यूजर आइडी देता है) उसके बाद जीतने रुपए के शेयर खरीदने है उतने पैसे ट्रेडिंग अकाउंट मे जमा करने होंगे उदाहरण के लिए टाटा स्टील के १० शेयर खरीदना चाहते है और उसका भाव आज १०० रु है तो आपको १०*१०० = १००० रु जमा करने होंगे |
अब तय हो गया है कोनसा शेयर खरीदना है, कितना खरीदना है और कितने पैसे लगने वाले है अब सीधा एपलीकेसन मे शेयर का नाम डाले और उसे खरीद ले (ब्रोकर के ऑफिस मे कॉल करके भी खरीदने का ऑर्डर दिया जा सकता है ) अब शेयर आपके हुए ट्रेडिंग अकाउंट मे इस शेयर की डिटेल्स दिखाएगी | ट्रेडिंग अकाउंट मे तो शेयर दिख रहे है लेकिन जहा इलेक्ट्रानिक्स रूप मे शेयर रखे जाते है डिमेट अकाउंट वहा आने बाकी है उसके लिए T+२ का साइकिल होता है |
आज आपने कोई शेयर खरीदे यानि आज का दिन ट्रेडिंग डे हुआ कल का दिन T+१ और परसों का दिन T+२ इस दिन डिमेट अकाउंट मे शेयर जमा हो जायेगे, बेचते वक्त भी ऐसा ही होगा T+२ दिन का साइकिल पूरा करने पर डिमेट अकाउंट से शेयर वापस होंगे हालाकी जब आप शेयर खरीदते और बेचते है उसी समय पैसा कट जाता है या फिर जमा हो जाता उसी पैसे को दुसरे शेयर खरीदने के लिए इस्तेमाल कर सकते हो | T+२ का सेटेलमेंट होने के बाद ही अप ट्रेडिंग अकाउंट से पैसे बाहर बिकल सकते है |
शेयर बाजार मे ट्रेडिंग कैसे करे : How to do Trading in share market
- शेयर बाजार की नॉलेज ले
- ब्रोकर के पास डिमेट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाए
- ट्रेडिंग अकाउंट मे पैसा जमा करे
- अब शेयर खरीद के ट्रेडिंग शुरू कर दे
जरूर पढ़िए – शेयर बाजार कैसे काम करता है
ट्रेडिंग के प्रकार :
इंट्राडे ट्रेडिंग : Intraday Trading In Hindi
जिस दिन शेयर खरीदे उसी दिन बेच देने को इंट्राडे ट्रेडिंग कहते है और जो लोग ऐसा करते है उन्हे इंट्राडे ट्रेडर कहते है |
यह ट्रेडिंग स्टाइल दुनिया भर मे सबसे प्रचलित है | फ्यूचर्स और ऑप्शन , करन्सी , कमोडिटी और एक्विटी बाजार मे किया जाता है | इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए शेयर बाजार के ब्रोकर मार्जिन भी देते है, आज के समय यह मार्जिन २ गुणा है यानि आपके पास १०००० रुपए है तो इंट्राडे मे ब्रोकर के मार्जिन के साथ २०००० के शेयर खरीद और बेच सकते है |
स्विंग ट्रेडिंग : Swing Trading In Hindi
शेयर खरीद के कुछ दिन बाद बेच देने को स्विंग ट्रेडिंग कहते है और जो लोग इसे करते है वो स्विंग ट्रेडर कहलाते है |
स्विंग ट्रेडिंग करने के लिए शेयर को डेलीवेरी ऑर्डर के जरिए खरीदना होता है , एक बार शेयर खरीद लिए तो उसे २ , ४ दिन या १ सप्ताह मे शेयर के दाम बढ़ने पर बेचकर प्रॉफ़िट बुक करते है | इसमे किसी भी प्रकार की मार्जिन नहीं मिलती यह फ्यूचर्स और ऑप्शन , करन्सी , कमोडिटी और एक्विटी बाजार मे किया जाता |
पोजिसनल ट्रेडिंग : Positional Trading In Hindi
शेयर खरीदने के कुछ सप्ताह या महीनों के बाद बेच देंने को पोजिसनल ट्रेडिंग कहते है और जो लोग इसे करते है उसे पोजिसनल ट्रेडर कहते है |
पोजिसनल ट्रेडिंग करने के लिए शेयर को डेलीवेरी ऑर्डर के जरिए खरीदना होता है , एक बार शेयर खरीद लिए तो उसे कुछ सप्ताह या महीनों के बाद दाम बढ़ने के बाद बेच देते है | इसमे किसी भी प्रकार की मार्जिन नहीं मिलती और यह केवल एक्विटी बाजार मे ही किया जाता |
शेयर के दाम ऊपर और नीचे क्यों जाते है?
शेयर के दाम ऊपर और नीचे जाना इस बात पर निर्भर करता है की उस कंपनी का प्रदर्शन अच्छा है या खराब , मान लीजिए कंपनी अगर अच्छा प्रदर्शन कर रही है यानि कंपनी मुनाफा कमा रही है तो शेयर के दाम ऊपर जाते है और अगर वही कंपनी घाटा कर रही है यानि नुकसान मे जा रही है तो शेयर के दाम नीचे जाते है |
शेयर के दाम ऊपर जाने के मुख्य कारण :
कंपनी का अच्छा प्रदर्शन :
पहले के मुकाबले कंपनी को नए काम मिल रहे है अब जब नए काम मिल रहे है तो मुनाफा भी पहले के मुकाबले ज्यादा होगा और सारे खर्चे काटने के बाद यह मुनाफा कंपनी को मिलता है जिससे की शेयर के दाम ऊपर जाते है |
प्रोडक्ट या सर्विस की डिमांड बढ़ना :
कंपनी के प्रोडक्ट या सर्विस की बाजार मे डिमांड है लोग उस प्रोडक्ट को पसंद कर रहे है और बार बार खरीद रहे है जिससे किसी कंपनी ज्यादा प्रोडक्ट बनती और बेचती जिससे लाभ ओर बढ़त है उससे भी शेयर के दाम बढ़ते है |
कर्ज कम करना :
कंपनी जब अपना लिया हुआ कर्जा कम करती या पूरा चुका देती है तो शेयर के दाम ऊपर जाते है | कोई भी काम करने के लिए पैसा चाहिए होता है , मान लीजिए कंपनी ने नए काम को करने के लिए या फिर बिजनस बढ़ाने के लिए बैंक से कर्ज लिया अब हर साल उस कर्जे का ब्याज बैंक को देना होगा यानी की मुनाफे का कुछ हिस्सा अब बैंक को जाएगा।
जिससे की कंपनी को अब कम मुनाफा होगा, अब अपने मुनाफे को बचाने के लिए कंपनी सोचती है बैंक का कर्ज कम करना या पूरा चुका देना ऐसा कंपनी अपने मुनाफे से कर सकती है या फिर निवेशकों से पैसा लेकर, अब कर्ज चुकाने के बाद होने वाला मुनाफा पूरी तरह से कंपनी का होता है |
प्रबंधन मे बदलाव (अच्छा प्रदर्शन ) :
कंपनी के बोर्ड को लगता है की उसकी मैनेजमेंट टीम या कंपनी का सीईओ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है तो ऐसे मे वो निर्णय लेते है इन्हे बदलने का अब नए सीईओ को नियुक्त करते है और मैनेजमेंट मे अनुभवी लोगों को नियुक्त करते है अब ऐसे मे कंपनी का नया मैनेजमेंट या सीईओ पहले मनेजमेंट या सीईओ की तुलना मे अच्छा काम करते है कंपनी को आगे बढाते है जिससे शेयर के दाम मे बढ़ोतरी होती है |
मजबूद अर्थव्यवस्था :
अर्थव्यवस्था किसी भी देश की बुनियादी नीव होती है | मजबुद अर्थव्यवस्था होने से लोगों के हाथों मे पैसा आता है जिससे की लोग वह पैसे किसी प्रोडक्ट और सर्विस मे खर्च करते है जिससे उसकी डिमांड बढ़ती है और उसके दाम भी | मजबूद अर्थव्यवस्था का अर्थ है जीडीपी का बढ़ना, बेरोजगारी का कम होना ,बैंक के ब्याज दर कम होना और साथ ही महगाई का कम होना | जिससे की आम आदमी के हाथ मे पैसा आए और वो उसे खर्च सके वही पैसा बाजार तक पहुच सके |
शेयर के दाम नीचे जाने के मुख्य कारण :
कंपनी का खराब प्रदर्शन :
पहले के मुकाबले कंपनी को नए काम मिलना कम हो गए अब जब नए काम मिलना कम हुए है तो कंपनी को घाटा होगा और सारे खर्चे काटने के बाद यह घाटा कंपनी को जाएगा जिससे की शेयर के दाम नीचे जाते है |
कर्ज लेना या बढाना :
बिजनस को बढ़ाने के लिए कंपनी बैंक से कर्ज लेती है जिससे की उनको ब्याज देना होता है अब कंपनी को कर्ज का ब्याज हर साल देना है तो कंपनी जो भी मुनाफा कमाती उससे देती है जिससे की कंपनी के हाथ कम मुनाफा बचाता है |
या फिर पुराने कर्ज को चुकाये बगैर कंपनी और कर्ज लेती है जिससे की और ज्यादा ब्याज बैंक को देना होता है जिससे उनके हाथ मे बहुत कम मुनाफा बचता है अब पहले के मुकाबले कम मुनाफा कंपनी को पोहोचता है इससे शेयर के दाम निचे जाते है |
प्रबंधन मे बदलाव (बुरा प्रदर्शन) :
कंपनी के बोर्ड को लगता है की उसकी मैनेजमेंट टीम या कंपनी का सीईओ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है तो ऐसे मे वो निर्णय लेते है इन्हे बदलने का अब नए सीईओ को नियुक्त करते है और मैनेजमेंट मे अनुभवी लोगों को नियुक्त करते है अब ऐसे मे कंपनी का नया मैनेजमेंट या सीईओ पहले मनेजमेंट या सीईओ की तुलना मे बुरा प्रदर्शन करता है कंपनी आगे बढने के बजाए पीछे जाती है या वही रुकी रहती है जिससे शेयर के दाम मे नीचे होते है |
कमजोर अर्थव्यवस्था :
कमजोर अर्थव्यवस्था होने से लोगों के हाथों मे पैसा कम आता है जिससे लोग खर्च कम करते है , अब बाजार मे पैसा कम जा रहा है जिससे की डिमांड कम होती है और इस वजह से लोग निवेश भी कम करते है | कमजोर अर्थव्यवस्था का अर्थ है बढ़ती हुए बेरोजगारी , जीडीपी का कम होना, बैंक के ब्याज दर ज्यादा होना यह भी शेयर के दाम नीचे जाने का मुख्य कारण है |
प्रोडक्ट या सर्विस की डिमांड कम होना :
कंपनी के प्रोडक्ट या सर्विस की बाजार मे डिमांड ही नहीं है , लोग उस प्रोडक्ट को नापसंद कर रहे है और खरीद नहीं रहे है जिससे कि कंपनी कम प्रोडक्ट बनाती और बेचती जिससे लाभ कम होता है उससे भी शेयर के दाम कम होते है |