What is IPO In Hindi। IPO Process। फायदे। नुकसान। ग्रे मार्केट। क्या आईपीओ एक अच्छा निवेश है?
What is IPO In Hindi –
जब पहली बार कोई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अपने शेयर पब्लिक को बेचती है उसे आईपीओ कहते है। तब ही कोई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पब्लिक कंपनी कहलाती है। मार्केट से पैसा जुटाने के लिए आईपीओ लाया जाता है।
आईपीओ सबसे पहले प्राथमिक बाजार (Primary Market) मे लाया जाता है, निवेशक इसी बाजार से आईपीओ को खरीद सकते है लेकिन बेचने के लिए Secondary Market मे जाना होता है।
Primary Market
जब पहली बार कोई कंपनी पब्लिक से पैसा जुटाने की तयारी करती है तो उन्हे प्राइमेरी मार्केट मे ही जाना होता है इसे आईपीओ मार्केट भी कहा जाता है इस मार्केट मे निवेशक केवल खरीद ही सकते है, यहा पर आप शेयर बेच नहीं सकते है उसके लिए secondary market मे जाता पड़ता है।
Secondary Market
Secondary Market को स्टॉक मार्केट भी कहा जाता है यहा पर शेयर खरीदे और बेच जाते है, शेयरो की ट्रैडिंग यही होती है। सुबह 9:15 से 3:30 बजे तक यह मार्केट शुरू रहता है, आईपीओ खरीदने के बाद इसी मार्केट मे शामिल होती है जिससे की निवेशक शेयर बेच सकते है।
कंपनी आईपीओ क्यों लाती है?
फंड इकठ्ठा करने –
व्यापार को चलाने और बढ़ाने के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है ऐसे मे कोई भी कंपनी बैंक से कर्ज लेने का रास्ता चुनती है, बैंक से कर्ज लेने पर लोन की कीमत के साथ-साथ ब्याज भी चुकाना पड़ता है, व्यापार ठीक से चले या नहीं बैंक का कर्ज चुकाना ही होता है इससे बचने के लिए कंपनी आईपीओ का रास्ता चुनती है।
आईपीओ के रास्ते से पूंजी जुटाने की खास बात यह है की जुटाए गए पैसों पर ब्याज नहीं देना होता है कंपनी जितनी चाहे उतनी पूंजी जुटा सकती है ऐसा वह खुद के शेयर बेचकर करती है इससे किसी भी कंपनी का रिस्क भी कम हो जाता है। कंपनी को व्यापार को आगे बढ़ाने के फंड लगता है ऐसे मे कोई भी कंपनी आईपीओ का रास्ता चुनती है।
इन्वेस्टर/प्रोमोटर्स की हिस्सेदारी बेचने –
एक मुकाम तक पोहोचने के बाद ही किसी कंपनी का आईपीओ आता है वहा तक पहुचने के लिए कई साल लगते है और कई रुपए भी, जब भी कोई कंपनी शुरू होती है उस कंपनी के कुछ प्रोमोटर्स होते है जिसे हम founders भी कहते है।
प्रोमोटर्स खुद के पैसों से अपना व्यापार शुरू करते है और पैसों की अधिक जरूरत होने पर प्राइवेट एक्विटी , वेंचर कैपिटल और एंजल इन्वेस्टर से पैसा जुटाती है (ऐसा वह खुद के शेयर बेचकर करते है) आईपीओ लाने से इन निवेशकों के लिए अपनी हिस्सेदारी बेचने का रास्ता खुल जाता है। ज्यादातर आईपीओ मे ऐसा ही होता है आईपीओ के वक्त मौजूदा निवेशक अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचता है या कम करता है।
ESOP –
ESOP का मतलब Employee Stock Ownership Plan जिसे Employee Stock Option भी कहा जाता है। यह केवल कंपनी के कर्मचारी के लिए ही होता है कुछ कंपनियां या स्टार्ट-अप अपने बेस्ट कर्मचारियों को कंपनी मे बने रहने के लिए यह प्लान लाती है।
यह प्रतियोगिता का दौर है, आज जहा ज्यादा पैसा मिलेगा कर्मचारी वहा जॉब करने चले जाते है ऐसे मे कंपनी के सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारी भी छोड़ कर चले जाते है, उन्हे रोकने के लिए कंपनी ESOP लाती है इसका मतलब है एम्प्लोयी को कंपनी की कुछ हिस्सेदारी (शेयर) दिए जाते है। हिस्सेदारी मिलने पर कर्मचारी और अच्छी तरह काम करेगा और छोड़ कर भी नहीं जाएगा। आईपीओ के जरिए कर्मचारी अपने ESOP (शेयर) बेच सकते है।
आईपीओ कैसे काम करता है : IPO की प्रोसेस
Merchant Bank को नियुक्त करना –
आईपीओ एक जटिल और लंबी प्रक्रिया जब पहली बार कोई आईपीओ लाता है तो उसे अनुभव नहीं होता है साथ ही नियम और प्रोसेस की जानकारी नहीं होती है ऐसे मे जो यह काम करते है उसके पास जाना उचित समजा जाता है, जो कोई भी कंपनी आईपीओ ला रही होती है वो सबसे पहले Merchant बैंक को नियुक्त करती है जो आईपीओ का सारा काम-काज देखती है।
Apply to SEBI –
सारे दस्तावेज तयार करने के बाद उन दस्तावेज को सेबी मे जमा कराना होता है रेजिस्ट्रैशन स्टेटमेंट के साथ, सेबी सब दस्तावेज की जाच करती है।
SEBI से NOD प्राप्त करना –
सारे पेपर को जाचने के बाद अगर सब कुछ ठीक है तो सेबी उस कंपनी को NOD देगा याने की आईपीओ ला सकते है इसकी हामी भरेगा। अब कंपनी को DRHP फाइल करना पड़ेगा।
DRHP –
DRHP का मतलब Draft Red Herring Prospectus है। जो की एक document होता है जिसपे कंपनी के बारे मे सारी जानकारी होती है, जैसे कंपनी के प्रोमोटर्स कोण है उनका बिजनस क्या है, फाइनैन्शल स्टेटमेंट आदि होते है यह सेबी क पास जमा करना होता है। आईपीओ का साइज़ क्या है, कितने शेयर पब्लिक को ऑफर किए जा रहे है।
सेबी इसे स्वीकार कर सकती है, रिजेक्ट कर सकती है या इसमे बदलाव करने को भी कह सकती है। सेबी DRHP को पब्लिक के साथ शेयर करती है जिससे कंपनी के आईपीओ मे पैसा लगाने वाले इन्वेस्टर कंपनी के बारे मे अच्छी तरह जान सके।
Promotion/Marketing –
ज्यादा फंड इकठ्ठा करने के लिए ज्यादा निवेशकों तक पोहोचना पड़ेगा उसके लिए मीडिया, सोशल मीडिया पर मार्केटिंग करनी होगी अन्य प्लेटफॉर्म पर भी प्रमोशन करना पड़ता है।
Price band Fixing –
प्राइस बैंड को तय करना, किस रेंज मे आईपीओ रहेगा उसकी ऊपर और नीचे की लिमिट तय करना, ऐसा fixed cost method या बुक बिल्डिंग मेथड से किया जाता है।
Book Building –
एक बार प्राइस फिक्स हो गया तो फिर आम निवेशकों के लिए आईपीओ मे bidding लगाना शुरू कर दिया जाता निवेशक दिए गए प्राइस बैंड को देखकर उनके लिए जो ठीक लगे उस प्राइस पे आईपीओ के लिए apply करते है।
मान लीजिए 200 से 250 रुपये यह किसी कंपनी के आईपीओ का प्राइस बैंड है अब निवेशक अपने नॉलेज के हिसाब से इस रेंज मे किसी भी प्राइस मे अप्लाइ कर सकता है, किन-किन प्राइस मे खरीदा गया और कितनी quantity मे खरीदा गया उस डेटा को कलेक्ट करने की प्रोसेस को book building कहते है।
Closed –
बुक बिल्डिंग होने के बाद अब आईपीओ को बंद कर दिया जाता है मतलब अब कोई भी नए निवेशक आईपीओ को अप्लाइ नहीं कर पायेगे यह आईपीओ का आखिरी दिन होता है।
Listing Day –
वो दिन जब आईपीओ शेयर बाजार मे शामिल होगा और आम निवेशक शेयर को खरीद और बेच सकते है मतलब इस दिन से शेयरो मे ट्रैडिंग शुरू होती है। आईपीओ बंद होने के बाद कंपनी कुछ दिन बाद शेयर बाजार मे शामिल होती है, बंद होने के तुरंत बाद याने दूसरे दिन ही शेयर बाजार मे आ जाएगा ऐसा जरूरी नहीं कुछ दिन बाद शेयर बाजार मे शामिल कर दिया जाता है।
आईपीओ (IPO) मे मर्चेंट बैंक की मुख्य भूमिकाये :
जब कोई कंपनी पहली बार शेयर बाजार से धन जुटाने के लिए अपना आईपीओ लाती है वह मर्चेंट बैंकर को नियुक्त करती है ताकि आईपीओ से जुड़े हुई नियमों को समजकर बाजार से ज्यादा से ज्यादा धन जुटा सके उस समय इन्हे बुक रनिंग लीड मैनेजर (Book Running Lead Manager) भी कहते है |
- आईपीओ के लिए राजिस्ट्रार अन्य आदि की नियुक्ति करना |
- आईपीओ के शेयर की प्राइस बैंड तय करना |
- ड्यू डिलिजन्स सर्टिफिकेट देना |
- लिस्टिंग के सारे डॉक्यूमेंट तयार करना | जैसे ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रोस्पेक्टस ( draft red herring prospectus)
- शेयर अन्डरराइट करना | मतलब कंपनी के कुछ शेयर खरीदकर बाद मे निवेशक को बेचना |
- कंपनी की मार्केटिंग करना |
ग्रे मार्केट क्या है : What is Grey Market in hindi
ग्रे मार्केट प्रीमियम उर्फ IPO GMP ऐसी जानकारी है जिसकी गणना आईपीओ के साथ आने वाली कंपनी की मांग के आधार पर की जाती है, आईपीओ की तारीख और मूल्य बैंड के प्रकाशन के तुरंत बाद, अनियमित बाजार में ग्रे मार्केट अनौपचारिक रूप से शुरू हो जाता है। आईपीओ में भाग लेने से पहले, आईपीओ निवेशक हमेशा प्रीमियम पर विचार करते हैं, लेकिन यह बाजार, मांग और सब्सक्रिप्शन स्तरों के आधार पर बदल सकता है।
IPO के बाद शेयर क्यों गिरते है?
यदि आप आईपीओ के उन शेयरो की जांच करते हैं, तो आप देखेंगे कि कुछ महीनों के बाद शेयर में तेज गिरावट आई है। इसका कारण है Lock-Up Period लॉक-अप अवधि समाप्त होने के बाद ही ऐसा अक्सर होता है की शेयरों मे भारी गिरावट आती है।
आईपीओ आने के पहले जो underwriters है वह लॉक-अप पीरीअड के पहले अपने शेयर नहीं बेच सकते यह उनपर लागू होता है जो इस कंपनी के अंदरूनी हिस्सों से अवगद है जैसे कंपनी के प्रोमोटर्स, मर्चन्ट बैंक और मौजूदा निवेशक।
लॉक-उप पीरीअड की समय सीमा के रूप में न्यूनतम 90 दिन से लेकर 180 दिन है यह समय सीमा समाप्त होने क बाद underwriters चाहे तो अपने शेयर बेच सकते है। अक्सर ऐसा होता है की इस समय सीमा क बाद मर्चन्ट बैंक और आईपीओ के पहले के निवेशक अपने शेयर बेच देते है जिससे शेयरों मे गिरावट आती है।
IPO के फायदे
- आईपीओ मे आपका पैसा कुछ ही दिनों मे डबल और ट्रिपल भी हो सकता है यह हम नहीं आईपीओ की हिस्ट्री बताती है।
- इसी वजह से काफी निवेशक आईपीओ मे पैसा लगाने के लिए उत्सुक रहते है।
- किसी IPO का प्राइस 200 रुपए था और शेयर बाजार मे लिस्टिंग के दिन वो 400 रुपए मे खुला तो आपको फायदा होगा। एक शेयर मे 200 रुपए का मतलब डबल।
- कम कीमतों मे कंपनी के शेयर मिलते है।
- शेयर बाजार मे शामिल होने के पहले उस कंपनी के शेयर खरीद सकते है।
IPO के नुकसान
- आईपीओ मे आपका पैसा कुछ ही दिनों मे आधा (डूब) भी सकता है यह हम नहीं आईपीओ की हिस्ट्री बताती है।
- इसी वजह से कुछ निवेशक आईपीओ मे पैसा लगाने से डरते है।
- किसी IPO का प्राइस 200 रुपए था और शेयर बाजार मे लिस्टिंग के दिन वो 100 रुपए मे खुला तो आपको नुकसान होगा। एक शेयर मे 100 रुपए का मतलब आधा नुकसान।
- कंपनी का वैल्यूऐशन ज्यादा होने से शेयर के दाम उसके सही कीमत से ज्यादा महगे हो सकते है।
- अगर किसी निवेशक ने आईपीओ मे ज्यादा कीमतों मे शेयर खरीदे हो तो, शेयर बाजार मे शामिल होने के बाद उस कंपनी के शेयरो की गिरावट के बाद और ज्यादा सस्ते मिल सकते है।
क्या आईपीओ एक अच्छा निवेश है? क्या आपको आईपीओ मे निवेश करना चाहिए?
आरंभिक सार्वजनिक आईपीओ पर आम तौर पर बहुत अधिक मीडिया का ध्यान दिया जाता है, जिनमें से कुछ फर्म के सार्वजनिक होने के उद्देश्य से किया जाता है। सामान्य तौर पर, आईपीओ के दिन और उसके तुरंत बाद अनिश्चित मूल्य परिवर्तन होता है।
जैसे की स्टॉक प्राइस का एकदम से बढ़ जाना इसी कारण आईपीओ निवेशकों द्वारा अच्छी तरह से पसंद किए जाते हैं। इससे बड़े नुकसान भी है स्टॉक प्राइस बढ़ने के बजाए गिर भी जाते है इसिलए निवेशकों को प्रत्येक आईपीओ का मूल्यांकन उनकी वित्तीय स्थिति और जोखिम सहिष्णुता के आधार पर करनी चाहिए। कंपनी को समजकर ही किसी आईपीओ मे निवेश करना चाहिए।
IPO और FPO मे अंतर
जब पहली बार कोई कंपनी शेयर बाजार से पैसे जुटाने के लिए अपने शेयर पब्लिक को जारी करती है उसे आईपीओ कहते है वही मौजूदा शेयर बाजार की कंपनी और अधिक पैसा जुटाने के लिए अपनी हिस्सेदारी कम कर शेयर बाजार से पैसा जुटाती है उसे FPO कहते है।
FPO क्या है? What is FPO In Hindi, FPO Full Form
- FPO का फूल फॉर्म, फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (Follow On Public Offer) होता है।
- शेयर बाजार की ही लिस्टेड कंपनी इसे पेश करती है।
- पैसों की आवश्यकता होने पर कंपनी इसे लाती है।
- मौजूदा शेयर बाजार की कंपनी व्यापार बढ़ाने के लिए पैसा जुटाती है।
- इसके लिए अपने हिस्सेदारी को कम कर पब्लिक को शेयर बेचती है।
- बैंक से कर्ज लेने से बेहतर विकल्प माना जाता है।
- FPO के प्रकार – Diluted FPO (मिश्रित एफपीओ) और Non Diluted FPO (अमिश्रित एफपीओ) यह दो प्रकार है।
IPO full form in hindi?
IPO का फूल फॉर्म Initial Public Offer है।
IPO कैसे खरीदे और बेचे जाते है?
IPO खरीदने और बेचने के लिए आपको डिमेट और ट्रैडिंग अकाउंट खोलना पड़ता है, वही से आईपीओ खरीदे और बेचे जाते है।
आईपीओ मे कितना पैसा लगाया जाता है
आईपीओ मे कम से कम एक लॉट खरीदा जाता है जिसकी कीमत कंपनी तय करती है।
आईपीओ कितना रिटर्न देता है?
आईपीओ कोई फिक्स रिटर्न नहीं देता है कभी पैसा डबल भी करता है तो कभी आधा भी करता है।
मै आईपीओ शेयर कब बेच सकता हू?
जिस दिन आईपीओ की कंपनी शेयर बाजार मे शामिल (लिस्टिंग) होगी उसके बाद जब भी मार्केट चालू रहेगा तब बेच सकते है। सुबह 9:15 से दोपहर 3:30 बजे तक सोमवार से शुक्रवार।
एक लॉट मे कितने शेयर होते है?
एक लॉट मे कितने शेयर होंगे यह आईपीओ वाली कंपनी तय करती है, सभी आईपीओ का अलग-अलग लॉट साइज़ हो सकता है।
FPO Full Form
फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (Follow On Public Offer) होता है।